बुंदेलखंडी उपन्यास ‘चाँदमारी’ एवं ‘चौरासी’ का हुआ भव्य लोकार्पण
121 साहित्यकारों व समाजसेवियों को मिला” साहित्य वारिधि व ‘सेवा वारिधि’ सम्मान
झाँसी । बुंदेलखंड के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. रमेश कुमार दुबे द्वारा रचित बुंदेलखंडी उपन्यास चाँदमारी एवं चौरासी का लोकार्पण एवं साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन राजकीय संग्रहालय के सभागार में भव्य रूप से किया गया । समारोह में बुदेलखण्ड के विभिन्न विधाओं के 70 साहित्यकारों को “साहित्य वारिधि” एवं 51 समाजसेवियों को ‘सेवा वारिधि’ सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रवींद्र शुक्ल , मुख्यवक्ता के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ व प्रख्यात लेखक व अभिनेता अमित दुबे (नई दिल्ली) व विशिष्ट अतिथि के रूप में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद लखनऊ पीठ के निबन्धक सह प्रधान न्यायपीठ सचिव एवं देश के प्रख्यात उपन्यासकार व कहानीकार महेंद्र भीष्म, अखिल भारतीय साहित्य परिषद उत्तर प्रदेश के प्रदेश महामंत्री व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ महेश पांडेय बजरंग उरई व झांसी के वरिष्ठ साहित्यकार लोकभूषण पन्नालाल असर उपस्थित रहे। समारोह की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष व दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री हरगोविन्द कुशवाहा ने की ।
कार्यक्रम के मुख्य आयोजक व लेखक डॉ रमेश कुमार दुबे ने अपने उपन्यासों के बारे में जानकारी देते हुए बुंदलेखंड की सभ्यता एवम संस्कृति से परिचय कराया। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड एक पिछड़ा और अशिक्षित वर्ग माना जाता है जहां पर लोगों ने अपनी जीविका के लिए अनेक प्रकार की कठिनाइयां झेली हैं और अपने सम्मान को सुरक्षित रखते हुए अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ाने का काम किया है ,यहां की परंपराएं रीति -रिवाज व धार्मिक मान्यताएं अपने आप में अलग-अलग अर्थों को समाहित करती हैं ,मेरे द्वारा लिखे गए उक्त दोनों उपन्यास जहां एक ओर यहां के गरीब व शोषित लोगों की पीड़ा कहते हैं तो वहीं पूर्व काल में यहां के सामंतवादों की तानाशाही का भी परिचय देते हैं। यह उपन्यास निश्चित रूप से आम जनमानस को रोमांचित करेंगे ऐसा मेरा विश्वास है ।
समारोह के मुख्य वक्ता अमित दुबे ने कहा कि बुंदेलखंड की माटी की खुशबू से रचे बसे सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ रमेश कुमार दुबे द्वारा लिखे गए इन बुंदेलखंडी उपन्यासों के माध्यम से बुंदेलखंड की संस्कृति, संघर्ष और सामाजिक यथार्थ को सजीव रूप से प्रस्तुत किया गया है । यह उपन्यास आने वाले समय में बुंदेलखंड के साहित्य में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाएंगे और यहां के लोग इन पुस्तकों को पढ़कर यहां की संस्कृति व अन्य विषयों से अच्छी तरह परिचित हो सकेंगे।
मुख्य अतिथि ने कहा कि यह उपन्यास बुंदेली साहित्य जगत में नव लेखन करने वाले नवोदित रचनाकारों के लिये प्रेरणा दायी होंगे, बुंदेलखंड में जन्म लेने वाले प्रत्येक साहित्यकार का यह धर्म भी होना चाहिए कि वह अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति समर्पित रहकर कुछ ना कुछ अवश्य करें। विशिष्ट अतिथि डॉ महेश पांडेय ‘बजरंग’ ने कहा कि बुंदेलखंड का साहित्य अपने आप में सबसे अनूठा और लोकप्रिय है, यहां के साहित्यकारों ने देश दुनिया को मार्गदर्शन दिया है। बुंदेलखंडी उपन्यास चांदमारी और चौरासी भी सर्वत्र अपनी सराहना पाएगा । प्रख्यात उपन्यास कार महेंद्र भीष्म ने लेखन ने सम्बंधित विभिन्न बारीकियों पर चर्चा करते हुए कहा कि अच्छा लेखन समाज की दशा औऱ दिशा दोनों बदलने की सामर्थ रखता है, उन्होंने स्वम् के बुंदेलखण्डी होने का गर्व करते हुए कहा कि इस माटी का उन पर बहुत एहसान है, यहाँ के लोग और यहाँ का साहित्य सब कुछ अद्वितीय है
पन्नालाल असर ने भी अपने शब्दों में बुंदेली साहित्य की सराहना करते हुए रमेश दुबे द्वारा रचित उपन्यासों को समाज की धरोहर बताया।
अध्यक्षता करते हुए हर गोविन्द कुशवाहा ने कहा कि साहित्यकार अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को जागरुक करने का काम करता है