“कृषि, औद्योगिक और फार्मास्युटिकल तकनीकों के आधुनिक विकास” विषय पर आयोजित की गई एक दिवसीय 6वीं राष्ट्रीय कृषि संगोष्ठी
कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों को अपनाना, किसानों की आय बढ़ाने और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है : डॉ० जे० के० मिश्रा
शिवपुरी । भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी), विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली और पीके विश्वविद्यालय, शिवपुरी, म०प्र० के संयुक्त तत्वावधान में “कृषि, औद्योगिक और फार्मास्युटिकल तकनीकों के आधुनिक विकास” विषय पर आयोजित एक दिवसीय 6वीं राष्ट्रीय कृषि संगोष्ठी का समापन आज दिनांक 28 दिसम्बर 2024 को हुआ। इस एक दिवसीय संगोष्ठी में देश भर के कृषि वैज्ञानिकों, उद्योग जगत के विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया। बताते चलें कि पी०के० विश्वविद्यालय द्वारा कुलाधिपति श्री जे० पी० शर्मा जी के मार्गदर्शन में प्रतिवर्ष किसानों के लिए इस वैचारिक संगोष्ठी आयोजन किया जाता है I यह संगोष्ठी कृषि, औद्योगिक और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों में हो रहे आधुनिक विकास पर केंद्रित थी। इसका उद्देश्य कृषि, औद्योगिक और फार्मास्युटिकल क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और उनके अनुप्रयोगों पर चर्चा करना, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए नए समाधान खोजने, जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि में स्थायी तरीकों को अपनाने को बढ़ावा देना था।संगोष्ठी दौरान, कृषि में डिजिटलीकरण (कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग, कृषि डेटा का उपयोग, कृषि मशीनरी का स्वचालन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग आदि), जैविक खेती (रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के विकल्प के रूप में जैविक खेती को बढ़ावा देना), परिशुद्ध कृषि (फसलों की जरूरतों के अनुसार खाद, पानी और अन्य संसाधनों का कुशल उपयोग), फार्मास्युटिकल क्षेत्र में कृषि उत्पादों का उपयोग (औषधीय पौधों की खेती और उनका उपयोग दवाओं के निर्माण में), जलवायु परिवर्तन और कृषि (जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और कृषि उत्पादकता को बनाए रखने के लिए अनुकूलन रणनीतियाँ) आदि बिन्दुओं पर प्रमुख रूप से चर्चा की गई I संगोष्ठी में इस बात पर भी जोर दिया गया कि इन क्षेत्रों में आधुनिक तकनीकों को अपनाकर किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है और देश के आर्थिक विकास में योगदान दिया जा सकता है।संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी (उत्तर प्रदेश) के मा० कुलपति (प्रो.) डॉ. ए.के सिंह एवं विशिष्ट अतिथियों में आईएमडी भोपाल से वैज्ञानिक(डी) प्रो. डॉ. दिव्या ई. सुरेन्द्रन, श्री एच एस पाण्डेय, आईजी एफआरआई से डा. विजय कुमार के साथ पी० के० विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री जे० पी० शर्मा, प्रशासनिक निदेशक डॉ० जे० के० मिश्रा, कुलुगुरु प्रो० (डॉ०) योगेश चन्द्र दुबे, कुलसचिव डॉ० दीपेश नामदेव, डीन अकादमिक डॉ० ऐमन फातमा, परीक्षा नियंत्रक प्रो० (डॉ०) जी० पवन कुमार, डीन ऑफ फैकल्टीज डॉ० जितेन्द्र मलिक उपस्थित रहे।संगोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया I विद्यार्थियों द्वारा गीत, सांस्कृतिक नृत्य आदि कर मुख्य अतिथितियों का स्वागत किया गया I संगोष्ठी का तकनीकी सत्र क्रमशः प्रातः 9:30 बजे से 11:30, अपरान्ह 12:00 बजे से 12:50 तथा 12:50 से सायं 4:10 तक तीन चरणों में संपन्न हुआ। प्रथम चरण में पंजीकरण एवं उद्घाटन सत्र रहा जिसके अंतर्गत कार्यक्रम का परिचय, गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत, गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्जवलन, पी०के० विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना, पी० के० विश्वविद्यालय के कुलगुरु (प्रो.) डॉ. योगेश चंद्र दुबे का उद्घाटन भाषण, विश्वविद्यालय के प्रशासनिक निदेशक डॉ. जे.के. मिश्रा का संबोधन, डीन अकादमिक डॉ. ऐमन फातमा का संबोधन, विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति (प्रो.) डॉ. वाई.एम. कूल का संबोधन एवं मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी (उत्तर प्रदेश) के कुलपति (प्रो.) डॉ. ए.के सिंह द्वारा विशेष संबोधन के बाद राष्ट्रगान हुआ। उसके पश्चात प्रथम चरण के समापन पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का अभिनंदन व धन्यवाद ज्ञापित किया गया। तत्पश्चात प्रातः 11:30 बजे से अपरान्ह 12:00 बजे तक स्वल्पाहार के उपरांत कार्यक्रम के द्वितीय चरण में अपरान्ह 12:00 बजे से तकनीकी सत्र का प्रथम चरण प्रारम्भ किया गया जिसमे आईजीएफआरआई, झांसी से प्रो. डॉ. विजय कुमार का संबोधन, आईएमडी, भोपाल से वैज्ञानिक-डी प्रो. (डॉ.) दिव्या ई. सुरेन्द्रम का संबोधन हुआ। अपराह्न 12:50 से अपराह्न 01:30 तक मध्यान्ह भोजन के उपरांत कार्यक्रम के अंतिम चरण में अपराह्न 01:30 से तकनीकी सत्र का द्वितीय चरण प्रारम्भ हुआ।उद्घाटन भाषण में पी० के० विश्वविद्यालय के कुलगुरु (प्रो.) डॉ. योगेश चंद्र दुबे ने कहा कि पी.के. विश्वविद्यालय की स्थापना ग्रामीण क्षेत्र में हुई है जहाँ आसपास के क्षेत्र मुख्यतः कृषि पर निर्भर हैं। विश्वविद्यालय द्वारा कृषि आधारित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन, क्षेत्र के किसानो के लिए नियमित रूप से जारी की जाने वाली एडवाइजरी किसान कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।प्रो. (डॉ.) ए.के. सिंह (मा० कुलपति रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी,उत्तर प्रदेश) ने कहा कि भारत इस समय डिजिटल क्रांति का केंद्र है। आई एम डी का सूचना तंत्र पूर्ण रूप से डिजिटल हो चुका है। डिजिटलीकरण के द्वारा ही किसानो को सरकार द्वारा सीधे लाभ उनके बैंक खातों में पहुँचाना सभव हो पाया है। कृषकों के विभिन्न समूहों के लिए कस्टमाइज सर्विस उपलब्ध कराये जाने हेतु तकनीकी विशेषज्ञों का प्रयास जारी है। उन्होंने गावों से होने वाले पलायन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पलायन से कृषि के स्तर और उत्पादन में कमी आई है , सहकारी कृषि का चलन कृषि के स्तर को उठाने के लिए आवश्यक हो गया है। इसके अलावा उन्होंने किसानों, कृषि भूमि का डेटाबेस तैयार करने, मैपिंग, एवं पराली जलाये जाने से होने वाले वायु प्रदुषण अवं इसके वैकल्पिक समाधान पर समग्र चर्चा की।विश्वविद्यालय के प्रशासनिक निदेशक डॉ. जे.के. मिश्रा ने कहा कि आज डिजिटल माध्यम से सरकार ढेरों कल्याणकारी योजनाओ का कार्यान्वयन कर रही है। आई एम डी द्वारा किसानो को कृषि के लिए अनुकूल समय, मौसम का पूर्वानुमान, मौसम के अनुसार खेती अदि सम्बन्धी सूचना डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराये जाने से कृषि कार्य में सुगमता आई है। कृषि के क्षेत्र में फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित नवीनतम तकनीकों की संसूचना किसानों तक पहुंचना डिजिटलीकरण का सबसे प्रमुख लाभ सिद्ध हुआ है। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार व्यक्त प्रो०(डॉ०) महालक्ष्मी जौहरी द्वारा किया गया। संगोष्ठी में पी० के० विश्वविद्यालय कृषि संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ० प्रभाकर सहित समस्त संकायों के विभागाध्यक्ष, प्रिंसिपल, शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।