बच्चों को पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों उनकी गतिविधियों और सुरक्षा/ संरक्षण के प्रति दी गई जानकारी
बच्चों को प्रवासी परिंदों के संबंध में उनके जीवन चक्र, प्रकृति में उपयोगिता की भी दी जानकारी
वेटलैंड्स जंतु ही नहीं बल्कि पौधों के लिए भी एक समृद्ध तन्त्र है:- डी0एफ0ओ0
सिमरधा बांध पर किया स्कूली बच्चों को आमंत्रित,दी आर्द्रभूमि दिवस की जानकारी
झांसी। हर साल फरवरी की 02 तारीख को वेटलैंड डे यानी आर्द्रभूमि दिवस के रूप में मनाया जाता है। वेटलैंड्स जमीन का वह हिस्सा होता है जहां पानी और भूमि आपस में मिलते हो। ये हमारे पारिस्थतिकी तंत्र के लिए बहुत जरूरी है। उक्त उदगार मुख्य वन संरक्षक बुन्देलखण्ड ज़ोन श्री एच0 बी0 गिरीश ने मुख्य अतिथि रूप में वर्ल्ड वेटलैंड-डे अवसर पर सिमरधा बाँध पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित स्कूली बच्चों और अधिकारियों तथा अन्य ग्रामीण जनों के मध्य व्यक्त किए। मुख्य वन संरक्षक ने प्रत्येक वर्ष 02 फ़रवरी को आयोजित होने वाले वेटलैंड-डे के अवसर पर सिमरधा बांध पर स्कूली बच्चों को आमंत्रित कर स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के संबंध में बच्चों को उनके जीवन चक्र प्रकृति में उनकी उपयोगिता आदि के सम्बन्ध में जानकारी देने के साथ ही उनकी सुरक्षा के प्रति जागरूक करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य की जानकारी दी। बच्चों ने किंगफिशर, काला तीतर, टिटहरी, बुलबुल, बगुला, काला चील,मोर नीलकंठ, तथा मैना स्वच्छंद रूप से उड़ते हुए निहारा और प्रसन्नता व्यक्त की। कार्यक्रम में प्रभागीय वनाधिकारी श्री जे0 बी0 शेण्डे ने उपस्थित स्कूली बच्चों को बताया कि फरवरी माह की 02 तारीख को विश्व आर्द्रभूमि दिवस यानी वर्ल्ड वेटलैंड डे के रूप में मनाया जाता है। पहली बार यह 1997 में मनाया गया था। आपको बता दे की वेटलैंड पानी को प्रदुषण मुक्त बनाए रखने का काम करती है। वेटलैंड्स जंतु ही नहीं बल्कि पौधों के लिए भी एक समृद्ध तंत्र है, जहां कई उपयोगी वनस्पतियां और औषधीय पौधे प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जिनका इस्तेमाल कई आवश्यक चीज़ों में किया जाता है। प्रभागीय वनाधिकारी ने वेटलैंड की जानकारी देते हुए बताया कि वेटलैंड यानी नमभूमि या आद्रभूमि जमीन का वह हिस्सा जहां पानी और भूमि आपस में मिलते हैं उसे वेटलैंड कहा जाता है। ऐसी जमीन जो सालभर या साल के ज्यादातर महीने जल से भरी रहती है। वेललैंड या आर्द्रभूमि की मिट्टी किसी झील, नदी, तालाब के किनारे का वह हिस्सा है जहां बहुत ज्यादा मात्रा में नमी पाई जाती है। ये कई मायनों में बहुत फायदेमंद होती है। हर साल 02 फरवरी को वर्ल्ड वेटलैंड डे मनाए जाने का उद्देश्य उन आर्द्र क्षेत्रों पर प्रकाश डालना है, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि नदियों, झीलों, तालाबों आदि की खराब होती स्थिति को देखते हुए 02 फरवरी 1971 में ईरान के रामसर में वेटलैंड कन्वेंशन को अपनाया गया था। इसलिए इस दिन को पूरी दुनिया में विश्व आर्द्रभूमि दिवस के रूप में मनाया जाताहै। 1975 में इस कन्वेंशन को लागू किया गया था और पहली बार वर्ल्ड वेटलैंड-डे 02 फरवरी 1997 में मनाया गया था। जबकि भारत ने 01 फरवरी 1982 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे, तभी से हर वर्ष संपूर्ण पूर्ण प्रदेश में उक्त कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस अवसर पर स्कूली बच्चों सहित समस्त विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों के साथ ही ग्रामीणों ने भी हस्ताक्षर करते हुए वेटलैंड-डे के मौके पर स्थानीय,प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा और संरक्षण की शपथ ली। आयोजित कार्यक्रम में स्कूली बच्चों को सम्बोधित करते हुए श्री पृथ्वीराज केबीएस प्रभागीय क्षेत्रीय वनाधिकारी ने वेटलैंड-डे की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम मेंआए समस्त अधिकारियों स्कूली बच्चों सहित ग्रामीण जनों के प्रति आभार उप प्रभागीय वनाधिकारी श्री विनोद कुमार ने किया। इस अवसर पर श्री पृथ्वीराज केबीएस, प्रभागीय क्षेत्रीय वनाधिकारी, डॉ0 पी0 कौशल निदेशक आईजीएफआरआई, श्री आर0एन0 यादव क्षेत्रीय वनाधिकारी,श्री अमित शर्मा, उप क्षेत्रीय वनाधिकारी, डॉ॰ विजय यादव प्रिंसिपल साइंटिस्ट एंड प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर आईजीएफआरआई, श्री जगमोहन बड़ौनिया, अध्यक्ष (मानवता की ओर एक कदम संस्थान) सहित बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे अभिभावक व अन्य उपस्थित रहे।