श्री कुंजबिहारी मंदिर में एक वर्षीय भक्तमाल कथा प्रारंभ
झाँसी। सिविल लाइन ग्वालियर रोड स्थित कुंज बिहारी मंदिर में गद्दी पर आसीन रहे सभी गुरु आचार्यो की पुण्य स्मृति में आयोजित एक वर्षीय भक्तमाल कथा का शुभारंभ रविवार 1 दिसंबर से करते हुए कथा व्यास बुंदेलखण्ड धर्माचार्य महंत राधामोहन दास महाराज ने प्रथम दिवस भक्ति महारानी के श्रृंगार की कथा का वर्णन किया।अपने श्रीमुख से कथा का रसास्वादन कराते हुए उन्होंने कहा कि मानव जन्म का सर्वोत्कृष्ट फल सत्संग है। भगवान के चरण कमलों की उपासना से बढकर कुछ भी नहीं है। उनके चरणों की प्राप्ति होने के बाद ही जीव के मन में ज्ञान और भक्ति का समावेश होता है। भक्तमाल कथा में प्रियादास जू महाराज लिखते हैं”श्रद्धा ही फुलेल उबटनों श्रवण कथा मेल जो अभिमान अंग अंग छुडाईये।वे कहते हैं कि जब तक शरीर में अहमता और संसार में ममता के कारण लोगों का चित्त संसार में भ्रमित हो रहा है, किंतु वेद और गुरु के वचनों में विश्वास होना ही श्रद्धा है। अर्थात अपने मन के भीतर चरणों में अगाद स्नेह करो। भगवान की भक्ति हरि सेवा साधु सेवा दो प्रकार से करनी चाहिए। किंतु वह जब तक संभव नहीं है जब तक आपके अंग अंग अहंकार रुपी मैल लगा हुआ है। इस अहंकार रुपी मैल को छुडाने के लिए भक्ति रुपी उबटन लगाना होगा तभी हमारा मन सुंदर होगा। उन्होंने कहा कि तन सुंदर हो न हो मन सुंदर होना चाहिए क्योंकि भगवान सुंदर मन वाले लोग ही प्रिय हैं। वे कहते है कि इस अभिमान को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय सत्संग है।जब हम दूसरों की निंदा करते हैं तो जिव्हा अपवित्र हो जाती है, निंदा सुनते हैं तो कान अपवित्र हो जाते है, परनारी पर कुदृष्टि डालते हैं तो नेत्र अपवित्र हो जाते है और वासना मद में हृदय मलीन हो जाता है। इस प्रकार हमारा तन मन ही अपवित्र तो भगवान को प्रिय कैसे हो सकता है, अर्थात सत्संग के माध्यम से भक्ति प्राप्त कर जीव अपना मन और तन पवित्र बना सकता है।प्रति मंगलवार को कथा विश्राम रहेगी। कुंजबिहारी मंदिर में रविवार एक दिसम्बर 2024 से शुरु हुई एक वर्षीय भक्तमाल कथा एक दिसम्बर 2025 तक चलेगी। उक्त जानकारी देते हुए महंत राधामोहन दास महाराज ने बताया कि कथा प्रत्येक मंगलवार को विश्राम रहेगी तथा अन्य दिनों में प्रतिदिन प्रातः 9 बजे से 11 बजे तक दो घंटे श्रद्दालु भक्तों को भक्तमाल कथा का रसास्वादन कराया जायेगा।