झांसी। ऑक्सफोर्ड, 14 नवंबर 2024 – ऑक्सफोर्ड यूनियन ने “द हाउस बिलीव्स इन एन इंडिपेंडेंट स्टेट ऑफ कश्मीर” शीर्षक से एक अत्यधिक विवादास्पद डिबेट आयोजित की, जिसमें विवादित वक्ताओं श्री ज़फ़र खान (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट – जेकेएलएफ) और श्री मुझम्मिल अय्यूब ठाकुर को शामिल किया गया, जिनके आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने के प्रमाणित रिकॉर्ड हैं। इस निर्णय की भारतीय मूल के छात्रों और ऑक्सफोर्ड हिंदू सोसाइटी ने कड़ी आलोचना की है और हिंसक चरमपंथ से जुड़े व्यक्तियों को मंच देने की कड़ी निंदा की है।सोसाइटी ने एक औपचारिक पत्र में गहरी निराशा व्यक्त की, यूनियन के निर्णय और बहस की सत्यनिष्ठा पर सवाल उठाए। पत्र में उन व्यक्तियों को मंच प्रदान करने की आलोचना की गई, जो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, जैसे 1984 में बर्मिंघम में एक भारतीय राजनयिक का अपहरण और हत्या तथा 1989–90 में कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं की हत्याओं और उनके बड़े पैमाने पर पलायन का षड्यंत्र। सोसाइटी ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को मंच प्रदान करके यूनियन न केवल हिंसा को वैधता प्रदान करता है बल्कि एक संतुलित और सूचित संवाद को बढ़ावा देने वाली संस्था के रूप में अपनी विश्वसनीयता भी कम करता है।इसके अलावा, भारतीय मूल के छात्रों ने डिबेट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किया और इसे विवादास्पद और गहरे तौर पर गैर-जिम्मेदाराना करार दिया। उन्होंने यह कहते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की कि यूनियन, जो खुद को “स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अंतिम गढ़” कहती है, आतंकवादी संगठनों की खतरनाक बयानबाजी और वैध अभिव्यक्ति के बीच फर्क करने में विफल रही। छात्रों ने तर्क दिया कि ऐसी कार्रवाइयां चरमपंथी विचारों को वैधता प्रदान करने और लोकतांत्रिक संवाद तथा हिंसा के समर्थन के बीच की रेखा को धुंधला करने का खतरा पैदा करती हैं।प्रदर्शनकारियों ने जोरदार नारों जैसे “दूर-दूर तक है ये बात, आतंकियों के साथ ऑक्सफोर्ड यूनियन की जात” से डिबेट की कड़ी निंदा की। बैनर उठाए हुए छात्रों ने “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” जैसे नारों के साथ अपना विरोध प्रकट किया।यह विरोध यहीं खत्म नहीं हुआ। निराशा का चरम तब देखने को मिला जब एक भारतीय छात्र आदर्श मिश्रा ने कश्मीर पर चल रही डिबेट को बाधित करते हुए इस बात को उजागर किया कि जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है, जिसका भारत और भारतीय नागरिकों के खिलाफ हिंसा का एक लंबा इतिहास है। साहसिक कदम उठाते हुए मिश्रा ने ऑक्सफोर्ड यूनियन के उस निर्णय के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसमें ऐसे व्यक्तियों और संगठनों को मंच प्रदान किया गया। उन्होंने यूनियन के मूल्यों को बनाए रखने के लिए जवाबदेही और नैतिक जिम्मेदारी की आवश्यकता पर जोर दिया।