झाँसी। सर्प शिक्षा अभियान के अंतर्गत सर्पदंश मृत्यु विहीन उत्तर प्रदेश के तहत बुधवार को मॉडर्न ग्रुप ऑफ कॉलेज, कोचाभंवर, झांसी में सर्पदंश जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन प्रो. कृष्ण कुमार शर्मा पूर्व कुलपति महर्षि दयानंद वि.वि. अजमेर के मार्गदर्शन में सपंन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, सर्प शिक्षक डॉ.अनिल बाबू असिस्टेंट प्रोफेसर, इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन,बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी एवं सर्प शिक्षा अभियान उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के स्टेट कोऑर्डिनेटर ने बताया कि भारत में लगभग 350 प्रकार की प्रजातियों के सर्प पाए जाते है। इनमें से केवल चार सर्प प्रजाति कोबरा, क्रेट, रसल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर सबसे ज्यादा विषैले होते हैं इसके बाद कुछ कम विषैले और बाकी के सभी सर्प विषहीन होते हैं। आज जन जागरूकता के अभाव के कारण ग्रामीण भारत में अधिकांशतः प्रतिवर्ष लग भग पचास हज़ार लोगों की सर्प दंश से मृत्यु होती है। इनमें खेतिहर किसान, चरवाहे, मजदूर एवं अन्य लोग सम्मिलित है। उत्तर प्रदेश को सर्प दंश मृत्यु विहीन बनाने हेतु सर्प शिक्षा अभियान द्वारा लगातार जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। डॉ बाबू ने बताया कि अभी हाल में एक जन हित याचिका पर प्रसंज्ञान लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देशित किया कि सभी राज्य एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता सुनिचित करे जिससे किसी भी व्यक्ति की दवा की अनुपलब्धता के कारण सर्पदंश से मृत्यु नहीं हो । ब्रिटिश काल से आज तक सर्पदंश मृत्यु को निगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिसीज की श्रेणी में रखा गया था किन्तु अभी हाल में ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने सर्प दंश मृत्यु को अब नोटिफिएबल ट्रॉपिकल डिसीज श्रेणी में रखने के निर्देश राज्य सरकारों को दिये है इसका प्रभाव सर्पदंश मृत्यु की दरों में निश्चित रूप से कमी लाएगा । आंकड़ों के अनुसार स्वतन्त्रता से लेकर आज तक भारत मे लगभग 37 लाख लोगो की सर्प दंश से मृत्यु हो चुकी है। इन आंकड़ों को कम करने हेतु एक मात्र जरिया भारत के लोगों में विशेष रूप से ग्राामीण स्तर पर सर्प शिक्षा अभियान द्वारा जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। डॉ. बाबू ने बताया कि सर्प दंश के बाद पीड़ित व्यक्ति को तुरंत सरकारी चिकित्सालय में इलाज के लिए लें जाना चाहिए इससे पीड़ित व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया इस स्वच्छता का अप्रत्यक्ष संबंध सर्प दंश के आंकड़ों को कम करने से भी है। यदि हमारे आस-पास और घरों में स्वच्छता रहेगी तो चुहे, छिपकली एवं अन्य जीव नहीं आयेगें चुंकि सर्प चुहे खाने की तलाश में घरों में आते है जिससे सर्प दंश की घटनाएं होती है। इसलिए घर की साफ सफाई रखे, रात को सोने से पहले बिस्तर झाड़कर उपयोग में लाए और जहां सर्प मिलने की सम्भावना ज्यादा हो वंहा जमीन पर नहीं सोए। यदि किसी व्यक्ति को सर्पदंश होता है तो प्राथमिक उपचार के तहत सर्पदंश की जगह डेटॉल या एंटीसेप्टिक की बूंदे डाल देनी चाहिए, सर्प दंश स्थान पर मालिश या रगड़ नहीं करें । और जिस जगह पर सर्प दंश हुआ है उस स्थान को बिना हिलाए डुलाए प्रेसर इमोबिलाइजेशन तकनीकी जो इंटरनेट पर उपलब्ध है का प्रयोग करे। रस्सी, डोरी से कसकर नहीं बांधे, चीरा नहीं लगाए और सर्प दंश के स्थान पर चूसने का प्रयास नहीं करे। पीड़ित व्यक्ति को ढांढस बाधाएं की सर्पदंश का इलाज सरकारी चिकित्सालय में संभव है। पीड़ित व्यक्ति को एंटी स्नेक वेनम देकर बचाया जा सकता है। हमें कभी भी अंधविश्वास जैसे झाड़फूक, तांत्रिक एवं टोने टोटके इत्यादि से से बचना चाहिए। सभी को सर्पों की रक्षा करनी चाहिए अगर हम सर्पाे को मारते रहे तो सर्परक्षक दवा एंटी स्नेक वेनम नहीं बनाई जा सकती है। इसलिए इस धरती पर मनुष्य और सर्पों का सह अस्तित्व भी अति आवश्यक है। कार्यक्रम में सर्प शिक्षा के जिला संयोजक डॉ आनंद कटारे एव अनिल कुमार, संस्था प्राचार्य नरेन्द्र त्रिपाठी एवं शिक्षा विभाग, फार्मेसी एवं नर्सिंग के प्राचार्य, शिक्षक एवं समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे। आभार ह्दयेश विश्वकर्मा ने व्यक्त किया।