*महाकुंभ में अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए यज्ञ अवश्य करें, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी- पं संजीव थापक -रिपोर्ट – संजय गोस्वामी
*प्रयागराज।* महाकुंभ 144 वर्षों के बाद आयोजित किया जाता है। जबकि कुंभ 12 वर्षों के बाद और अर्ध कुंभ 6 वर्षों के बाद आयोजित किया जाता है। कुंभ मूल शब्द कुंभक (अमृत का पवित्र घड़ा) से आया है। ऋग्वेद में कुंभ और इससे जुड़े स्नान अनुष्ठान यज्ञ का उल्लेख है। यह संगम में स्नान करने और इस अवधि के दौरान यज्ञ करने, नकारात्मक प्रभावों को दूर करने और मां और आत्मा के कायाकल्प के लाभों के बारे में बात करता है। अथर्ववेद और यजुर्वेद में भी कुंभ के लिए प्रार्थनाएँ लिखी गई हैं। यह बताता है कि कैसे समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत के पवित्र घड़े (कुंभ) को लेकर देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ था। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और कुंभ को लालची राक्षसों के चंगुल से मुक्त कराया लगभग 45 दिनों तक चलने वाले इस मेले में लाखों श्रद्धालु आते हैं और करोड़ों श्रद्धालु महाकुंभ में गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती के पवित्र संगम पर स्नान और यज्ञ करने आते हैं। इस समागम में मुख्य रूप से सभी क्षेत्रों और कई देशों से तपस्वी, संत, साधु, साध्वियाँ, कल्पवासी और तीर्थयात्री भाग लेते हैं।
*महाकुंभ 2025 के प्रमुख स्नान पर्व हैं :-*
*1– 13 जनवरी 2025 पौष पूर्णिमा*
*2–14 जनवरी 2025 मकर संक्रांति*
*3–29 जनवरी 2025 मौनी अमावस्या*
*4–3 फरवरी 2025 बसंत पंचमी*
*5–12 फरवरी 2025 माघी पूर्णिमा*
*6–26 फरवरी 2025 महाशिवरात्रि*
इस महाकुंभ 2025 में अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए यज्ञ अवश्य करें, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी, व्यापार में वृद्धि होगी, रुका हुआ धन प्राप्त होगा, रोगों से मुक्ति मिलेगी। आपके साथ कोई अप्रत्याशित घटना नहीं घटेगी, आपको स्वास्थ्य लाभ मिलेगा, शरीर के रोग दूर होंगे और इस जीवन के बाद (मृत्यु पर) आपको मोक्ष मिलेगा, तथा 7 पीढ़ी तक इस पुन्य का लाभ आपके परिवार को मिलेगा।