*बी.के.डी. में भारत की अवधारणा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन*
*बुंदेली महोत्सव में हुई बुंदेली लोककथा वाचन, बुन्देली लोक नृत्य एवं लोक गीत गायन प्रतियोगिता आयोजित*
झांसी। बुन्देलखण्ड कॉलेज में चल रहे पुस्तक मेला एवं बुुन्देली महोत्सव के अन्तर्गत भारत की अवधारणा-शिक्षा और संस्कृति का संगमः प्राचीन परम्परा से आधुनिक नवाचार तक विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन बुन्देलखण्ड कॉलेज के स्वर्ण जयन्ती सभागार में किया गया। उद्घाटन सत्र् के मुख्य वक्ता श्री रामाशीष जी, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य प्रज्ञा प्रवाह ने कहा कि भारत की अवधारणा शिक्षा और संस्कृति का संगम है। हमें दूसरों की नकल न करते हुए अपने राष्ट्र की प्राचीन परम्परा को आधुनिक रूप में आगे बढ़ाने का कार्य प्रभावी ढ़ग से करना चाहिए। मुख्य अतिथि प्रो. राजशरण शाही, अधिष्ठाता, बाबा साहिब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ ने कहा कि भारत की शिक्षा गुरू-शिष्य परम्परा पर आधारित रही है। इसके लिए उन्होंने कई प्रसंग एवं कहानियां सुनाकर अपनी बात विस्तार से रखी। राष्ट्रीय संगोष्ठी का परिचय केन्द्रीय पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ. अरविन्द सिंह परमार ने दिया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो. एस.के. राय ने कहा कि छात्रों एवं शिक्षकों को भारत की अवधारणा को संरक्षित रखने के लिए आगे आना होगा, इसके लिए अनुशासन में रहना और अपने कार्य के प्रति सजग और समर्पित होना बेहद जरूरी है। रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के ऐजुकेशन डीन डॉ. अनिल कुमार ने वर्तमान में युवाओं में शिक्षा एवं संस्कृति के संरक्षण व उत्थान हेतु अपने रोचक सुझाव रखे। स्वागत भाषण एम.एड. विभाग की अध्यक्षा प्रो. प्रतिमा सिंह परमार ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रणजीत सिंह यादव ने किया। उद्घाटन के उपरान्त राष्ट्रीय संगोष्ठी में शैक्षिक परिप्रेक्ष में, विज्ञान एवं तकनीकी परिप्रेक्ष में, विधि के परिप्रेक्ष में तथा आधुनिक नवाचार के परिप्रेक्ष में भारत की अवधारणा प्राचीन परम्परा से आधुनिक नवाचार तक शोध प्रस्तुत करने हेतु तकनीकी सत्र् आयोजित किए गए। इन सत्रों की अध्यक्षता प्रो. राजशरण शाही, श्री रामाशीष जी, प्रो. अमित प्रकाश रघुवंशी ने, प्रो. अखिलेश सिंह तथा उपाध्यक्ष के रूप में प्रो. अशोक सिंह, बांदा, श्री भगवती प्रसाद जी, डॉ. एस.के. प्रजापति रहे। प्रो. राकेश नारायण द्विवेदी ने प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्वति और गुरू-शिष्य परम्परा, डॉ. मनमोहन मनु ने संविधान निर्माण में बुन्देलखण्ड की अग्रणी भूमिका, आशुतोष सेंगर ने वेदों से विज्ञान तक, अभिमन्यु सिंह ने आर्युवेद और साहित्य पर, ऋषभ गिरी ने अस्वगंधा पर, रचना सिंह ने डिजिटल शिक्षा-ऑनलाइन शिक्षण पर, उत्कर्ष प्रताप सिंह, स्वाती सिंह ने जी.आई. टैग पर अपने शोध पत्र का प्रस्तुतिकरण किया एवं उपस्थित जनों के सवालों का जबाव दिया। इस अवसर पर डॉ. राजेश कुमार, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ. डी.पी.एस. परिहार, डॉ. मुकुल सक्सेना, ललित कुमार वाधमानी, सुदर्शन शिवहरे, डॉ. ज्योंति चंदेल, सहित प्राध्यापक, शोधार्थी एवं गणमान्यजन उपस्थित रहे।
‘बुंदेली लोककथा वाचन प्रतियोगिता’ का आयोजन हिन्दी विभाग के द्वारा स्वामी विवेकानन्द सभा कक्ष में किया गया। प्रतियोगिता में महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राओें ने प्रतिभाग किया इसमें रवीना और रामरती यादव ने प्रथम, आयुषी श्रीवास्तव ने द्वितीय एवं मोहिता साहनी और भरत लाल ने तृतीय स्थान प्राप्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. संजय सक्सैना ने की। निर्णायक मण्डल में डॉ. ब्रजलता मिश्रा, प्रो. नवेन्द्र कुमार सिंह, प्रो. एल.सी. साहू एवं डॉ. रोबिन कुमार सिंह शामिल रहे। संचालन एम.ए. हिन्दी की छात्रा रामरती यादव ने किया। इस अवसर पर प्रो. स्मिता जायसवाल, प्रो. अश्वनी कुमार, प्रो. नीलम सिंह, डॉ. रामनारायण, डॉ. आकाश दुबे, डॉ. वन्दना कुशवाहा, गिरजाशंकर कुशवाहा, कुशराज एवं विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। आभार डॉ. शिव प्रकाश त्रिपाठी ने व्यक्त किया।
बुन्देली महोत्सव में बुन्देली लोक नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि श्रीमान् शरद चौधरी, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं श्री जितेन्द्र यादव, ए.डी.जी. तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. अलका नायक, प्राचार्या आर्य कन्या महाविद्यालय, झाँसी, प्रोफेसर मुन्ना तिवारी, अधिष्ठाता कला संकाय बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, श्री अमित चिरवरिया व श्री प्रदीप सरावगी रहे। कार्यक्रम में महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राओं, रोवर-रेंजर, एन.एस.एस., एन.सी.सी., बी.एड. के छात्र-छात्राओं द्वारा बुन्देली लोक नृत्य, राई, बधाई, ढिमरियाई, मोनिया एवं विभिन्न प्रकार के बुन्देली लोक नृत्य एवं लोक गीत प्रस्तुत किये गये। जिसका संयोजन प्रो. एल.सी. साहू, डॉ. वन्दना कुशवाहा, प्रो. शिल्पी शर्मा, डॉ. दीपा सिंह द्वारा किया गया। बुन्देली लोक नृत्य प्रतियोगिता के निर्णायक मण्डल में प्रो. सुरभि यादव (बी.बी.सी. कॉलेज, झाँसी), प्रो. स्मिता जायसवाल, प्रो. नीलम सिंह रहे। डॉ. ज्योति चन्देल (अर्थशास्त्र विभाग, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी) एवं डॉ. रंजना बुन्देला (निदेशक, किड्स लॉन्चर) लोक गीत गायन प्रतियोगिता के निर्णायक मण्डल के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. एल.सी. साहू ने किया। इस अवसर पर डॉ. सुरेन्द्र नारायण, डॉ. श्याम मोहन पटेल, डॉ. शिव प्रकाश त्रिपाठी, डॉ. चंचल कुमार, डॉ. श्वेता दीक्षित, धनीराम, पंकज मिश्रा, कल्याण सिंह सहित समस्त शिक्षकगण, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।