अन्तर्राष्ट्रीय गिद्ध संरक्षण दिवस के अवसर पर वन मुख्यालय, झांसी में किया गया गिद्ध संरक्षण हेतु जागरूकता कार्यशाला का आयोजन*
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मुख्य वन संरक्षक, बुन्देलखण्ड जोन, झांसी श्री एच०वी० गिरीश की अध्यक्षता में वेत्रवती सभागार, वन मुख्यालय, झांसी में बुन्देलखण्ड जोन स्तरीय एक दिवसीय गिद्ध संरक्षण जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का प्रारम्भ करते हुये श्री एच०वी० गिरीश मुख्य वन संरक्षक, बुन्देलखण्ड जोन, झांसी द्वारा कार्यशाला में उपस्थित बुन्देलखण्ड जोन के उरई, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा एवं बांदा वन प्रभागों से आये प्रभागीय वनाधिकारियों, उप प्रभागीय वनाधिकारियों, क्षेत्रीय वनाधिकारियों, वन दरोगा तथा वन रक्षकों को सम्बोधित करते हुये गिद्धों के संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों द्वारा बताये जाने वाले तथ्यों एवं जानकारी को ध्यानपूर्वक सुनने एवं समझने तथा कार्यशाला से लाभान्वित होने का आह्वाहन किया गया।
श्री महावीर कौजालगी, वन संरक्षक / क्षेत्रीय निदेशक, बुन्देलखण्ड वृत्त, झांसी द्वारा कार्यशाला में पधारे बुन्देलखण्ड जोन के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा विषय विशेषज्ञों का स्वागत किया गया। कार्यशाला के तकनीकी सत्र में प्रोफेसर अमिता कनौजिया, वन्य जीव संस्थान, लखनऊ द्वारा भारत में पाये जाने वाले नौ प्रकार के गिद्धों की पहचान, गिद्धों के संरक्षण हेतु उनके प्राकृतवास एवं भोजन श्रृंखला तथा गिद्धों को विभिन्न कारकों से हो रही मृत्यु एवं गिद्धों के जीवन के लिए खतरों से भी कार्यशाला में विस्तारपूर्वक प्रतिभागियों को जानकारी प्रदान की गयी। प्रो० अमिता कनौजिया द्वारा जनपदों में गिद्ध रेस्टोरेन्ट / गिद्ध रेस्क्यू सेन्टर खोले जाने की आवश्यकता भी बतायी गयी, जहां पर गिद्धों को भोजन एवं रेस्क्यू सेन्टर में उनका उपचार किया जा सके। विगत गिद्ध गणना के अनुसार बुन्देलखण्ड क्षेत्र में जनपद झांसी में 30 व्यस्क गिद्ध तथा 10 बच्चे एवं जनपद ललितपुर में व्यस्क गिद्ध 167 तथा बच्चे 74 पाये गये थे।
कार्यशाला में उपस्थित जिला पशु अस्पताल, निवाड़ी, म०प्र० के सिविल सर्जन, डॉ० अजीत दिक्षित, द्वारा गिद्धों की मृत्यु के पश्चात पोस्टमॉर्टम में पाये जा रहे विभिन्न कारणों के संबंध में बताया गया। डॉ० दीक्षित द्वारा गिद्धों / पक्षियों को बीमारी एवं दुर्घटना में चोटिल होने की दशा में वन कर्मियों द्वारा उनका रेस्क्यू तथा उनको प्राथमिक उपचार दिये जाने के संबंध में तकनीकी जानकारी प्रदान की गयी।
कार्यशाला में डॉ० अंकित सिन्हा, सहायक प्रोफेसर, अग्रवन, हेरीटेज विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा गिद्धों की पहचान कर गिद्धों की गणना करने के संबंध में तकनीकी जानकारी दी प्रदान की गयी। कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा गिद्धों के संरक्षण एवं संवर्धन में स्थानीय जन मानस एवं हितधारकों की सहभागिता के महत्व पर बल दिया गया। कार्यशाला में वन संरक्षक, चित्रकूटधाम वृत्त बांदा, प्रभागीय वनाधिकारी उरई, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा एवं बांदा, सहित जोन के अन्तर्गत प्रभागों के उप प्रभागीय वनाधिकारियों, क्षेत्रीय वनाधिकारियों, वन दरोगा तथा वन रक्षकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। अन्त में श्री मनोज कुमार शुक्ला, वन संरक्षक, बांदा द्वारा कार्यशाला में पधारे अधिकारियों/कर्मचारियों एवं विषय विशेषज्ञों का अभार प्रकट किया गया।
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मण्डलीय सूचना कार्यालय झांसी द्वारा प्रसारित।