संकट मोचक” एक दिवसीय जीवन रक्षक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम – युवाओं ने सीखी जीवन बचाने की कला
** कार्यशाला में प्रतिभागियों ने हाई- फिडेलिटी सिम्युलेटर पर व्यावहारिक अभ्यास कर कौशल को निखारा
** 17 स्कूल छात्र जिसमें कक्षा 10-12 के, इंजीनियरिंग कॉलेज, विश्वविद्यालय, कृषि तथा सुरक्षा गार्ड ने किया प्रतिभाग
** प्रतिभागियों ने बताया यह कोर्स सभी छात्रों के लिए हो अनिवार्य, आपात स्थिति में मददगार बन समाज में कर सकते योगदान
** कार्यशाला में विशेषज्ञों ने भी जीवन बचाने की का दिया ज्ञान
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज, झाँसी के नेतृत्व में आयोजित “संकट मोचक – एक दिवसीय जीवन रक्षक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम” अत्यंत सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
यह कार्यक्रम कोर्स डायरेक्टर प्रो0 (डॉ0) अंशुल जैन के निर्देशन में आयोजित किया गया, जिसमें कुल 42 प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
प्रतिभागियों में 17 स्कूल छात्र (कक्षा 10–12), 19 कॉलेज छात्र (इंजीनियरिंग, विश्वविद्यालय, कृषि) तथा 6 सुरक्षा गार्ड शामिल रहे।
कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन के पश्चात् कोर्स डायरेक्टर प्रो0 (डॉ0) अंशुल जैन ने कहा
“सही समय पर और सही तरीके से प्राथमिक देखभाल देकर हम अनगिनत जानें बचा सकते हैं। दु:ख की बात यह है कि आजकल युवा किसी हादसे के समय अक्सर केवल दर्शक बने रहते हैं या वीडियो बनाने लगते हैं। यह इसलिए नहीं कि वे मदद नहीं करना चाहते, बल्कि इसलिए कि उन्हें पता ही नहीं होता कि क्या करना चाहिए।
‘संकट मोचक’ कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित है और इसका उद्देश्य युवाओं को ऐसे कौशल सिखाना है जिससे वे आत्मविश्वासी होकर तुरंत मददगार बन सकें। उन्होंने कहा पाँच प्रमुख क्षमताओं – जैसे स्ट्रोक और एंजाइना पहचान – को वर्कशॉप स्टाइल और हैंड्स-ऑन सिम्युलेशन के माध्यम से सिखाना बहुत आवश्यक है, और हमने यही प्रयास किया।”
उन्होंने कार्यशाला में दिनभर चले इस कोर्स में प्रतिभागियों को जीवन रक्षक कौशल सिखाए गए, जिसमें • बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS): सीपीआर (वयस्क, शिशु और बाल), एईडी (AED) का उपयोग, घुटन (Choking) से राहत।
• स्ट्रोक पहचान (BE FAST Drill) तथा हार्ट अटैक (MI/ACS) पहचान।
• ट्रॉमा प्राथमिक देखभाल: रक्तस्राव रोकने की तकनीकें (प्रेशर, एलीवेशन, टूर्निकेट)।
• बर्न प्रबंधन: जलने की स्थिति में सही और गलत कदमों की जानकारी।
• साँप के काटने एवं अन्य बाइट्स/स्टिंग्स में प्राथमिक उपचार।
• वाइटल साइन की जाँच: नाड़ी, ब्लड प्रेशर आदि, कोर्स डायरेक्टर डॉ0 अंशुल जैन ने बताया कि कार्यक्रम वर्कशॉप शैली में आयोजित किया गया जहाँ प्रतिभागियों ने हाई-फिडेलिटी सिम्युलेटर पर व्यावहारिक अभ्यास कर कौशल को निखारा।
संकट मोचक एक दिवसीय जीवन रक्षक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीआईईटी के एक छात्र ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बताया – “यह कोर्स बहुत ही इंटरैक्टिव और व्यावहारिक रहा। हमने केवल सुनने के बजाय अपने हाथों से CPR और रक्तस्राव नियंत्रण जैसी तकनीकें सीखी। यह हमारे लिए आत्मविश्वास बढ़ाने वाला अनुभव है।”
इसी क्रम में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने कहा कि “मेरा मानना है कि यह कोर्स सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होना चाहिए। इसकी जानकारी अत्यंत उपयोगी है और किसी भी आपात स्थिति में हम तुरंत मददगार बन सकते हैं। यह समाज के लिए बड़ा योगदान है।”
आयोजित कार्यशाला में संकाय सदस्यों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही-
• डॉ. सुधीर कुमार (बर्न प्रबंधन) ने कहा – “जलने की स्थिति में लोग अक्सर घबराकर गलत कदम उठा लेते हैं। इस प्रशिक्षण में छात्रों को यह सिखाया गया कि कब पानी डालना है, कब कपड़े ढीले करने हैं और किन घरेलू नुस्खों से बचना है। यह ज्ञान सीधे जीवन बचाने में मदद करता है।”
• डॉ. छवि सेठी ने कहा – “महिला हो या पुरुष, कोई भी इस प्रशिक्षण से लाइफ़सेवर बन सकता है। ‘संकट मोचक’ का उद्देश्य हमारे भावी नागरिकों को ऐसा जिम्मेदार जीवनरक्षक बनाना है, जो किसी हादसे की जगह वीडियो बनाने की बजाय तुरंत आगे बढ़कर जान बचाने में योगदान दे।”
अन्य संकाय सदस्यों – डॉ. ज़ाकी सिद्दीकी, डॉ. पंकज सौनाकिया और डॉ. पारस गुप्ता – ने भी विभिन्न मॉड्यूल्स पर मार्गदर्शन प्रदान किया और प्रतिभागियों के साथ व्यावहारिक अभ्यास कराए।
Course के लास्ट में जीवन रक्षक प्लेज लिया गया। कार्यशाला में एबीवीपी का मेडिविजन आयाम और संजीवनी एजुकेशनल ट्रस्ट ने सहयोग दिया।
कार्यशाला में शेरवुड, हंसराज, न्यू एरा पब्लिक स्कूल, जय अकादमी, बीआईईटी, बुन्देलखंड डिग्री कॉलेज रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।
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जिला सूचना कार्यालय द्वारा प्रसारित