लंदन में गूंजा “जय श्री राम” – भव्य राम लीला 2025 का आयोजन
लंदन, 7 अक्टूबर 2025:
दूर देश लंदन में भारतीय संस्कृति, भक्ति और एकता का अद्भुत संगम देखने को मिला जब “लंदन की राम लीला 2025” का भव्य मंचन हुआ। इस आयोजन ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया और सभी ने एक स्वर में कहा — “जय श्री राम!”
इस लीला का निर्माण एवं निर्देशन श्री प्रवीण कुमार द्वारा किया गया, जो संस्था Sutton Friends के संस्थापक हैं। यह लीला पूरी तरह सामुदायिक सहयोग से, बिना किसी व्यावसायिक उद्देश्य के आयोजित की गई — “समाज के लिए, समाज द्वारा।”
टीम की मेहनत बनी सफलता का आधार
इस मंचन में लगभग 35 कलाकारों और 150 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया। हर दृश्य में महीनों की साधना और टीम की निष्ठा झलकती रही।
प्रोडक्शन टीम के सदस्य — अनूप काबरा, रोहित मलिक, मनीष साहल, आशीष अग्रवाल, अभिनव पाठक, सचिन शेलके, अंजनी कुमार, मनीष गुप्ता, रुशिल अग्रवाल, सिद्धार्थ पांधी और धवल ठक्कर — ने अपने अथक प्रयासों से इस कार्यक्रम को एक “वॉव फैक्टर” प्रदान किया, जिसने पूरे दर्शकदीर्घा को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सौंदर्य वेशभूषा और मेकअप की जिम्मेदारी कई गृहिणियों ने बड़े प्रेम से निभाई, जिनमें अपेक्षा गांधी, पिंकी कुमार, मालती सिंह, वैशाली सिंह, रिचा और अन्य महिलाएं प्रमुख रहीं। यह सचमुच “नारी शक्ति” का सुंदर उदाहरण था।
माननीय अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस सांस्कृतिक आयोजन में अनेक प्रतिष्ठित अतिथियों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, जिनमें प्रमुख हैं —
एम.पी. ल्यूक टेलर
एम.पी. बॉबी डीन
श्री वासुदेव देवनानी, राजस्थान विधानसभा के माननीय सभापति
बेरी लुईस, लिबरल डेमोक्रेट्स लंदन के लीडर
काउंसलर रिचर्ड चटर्जी
डॉ. कुलदीप शेखावत, ऑफ बीजेपीयूके
हिर्देश गुप्ता – इंडियन डायस्पोरा ऑफ़ यूके
आदित्य प्रताप सिंह – ग्लोबल ब्रिलियंस फोरम
श्री अजय ठाकुर, श्री मती अनुराधा पांडेय भारत के उच्चायोग (लंदन) प्रतिनिधि
मनीष मल्होत्रा, वाइस प्रेसिडेंट और हेड ऑफ सेल्स, इन्फोसिस
अंशुल श्रीवास्तव, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट एवं हेड – यूरोप
काउंसलर तुषार कुमार
इन विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक गौरवशाली बना दिया।
संस्कृति और अध्यात्म का संगम
सीता स्वयंवर से लेकर लंका दहन तक हर दृश्य में मंच, प्रकाश, संगीत और संवादों का ऐसा अद्भुत संयोजन था जिसने दर्शकों को भारत की आत्मा से जोड़ दिया। LED बैकड्रॉप्स, लाइव नैरेशन और पारंपरिक परिधान ने मिलकर एक अनोखा अनुभव रचा।
यह कार्यक्रम केवल एक नाट्य मंचन नहीं, बल्कि संस्कृति, भक्ति और भारतीयता का उत्सव था — यह प्रमाण है कि रामायण की परंपरा केवल भारत की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की धरोहर है।