*_राष्ट्रीय चेतना, बुद्ध पूर्णिमा, मातृशक्ति बंधन को समर्पित मासिक साहित्यिक काव्य संगोष्ठी संपन्न।_*
शास्त्री विश्व भारती संस्कृति एवं साहित्य शोध संस्थान के तत्वाधान में शास्त्री भवन सीपरी बाजार में वर्ष 1965 से अद्यतन सतत रूप से संचालित मासिक काव्य संगोष्ठी भाव से संपन्न हुई।
संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ प्रमोद अग्रवाल (से.नि.आई.ए.एस) साहित्य भूषण द्वारा की गई। गोष्टी के मुख्य अतिथि डॉ मनोज कुमार गौतम “मनु”(उप निदेशक राजकीय संग्रहालय) रहे। विशिष्ट अतिथि स्वरूप डॉ राजेश तिवारी मक्खन, डॉ वी.वी. त्रिपाठी(संस्थापक निदेशक संस्कृत शोधपीठ बूंदे. विश्वविद्यालय) श्री विजय शंकर बबेले(से. नि. कमडोर, सेनानी) श्री हरशरण शुक्ला, डॉ.निहाल चंद्र शिवहरे, डॉ.सुखराम चतुर्वेदी (फौजी) रहे। गोष्ठी का शुभारंभ श्री कैलाश नारायण मालवीय ‘कृष्ण’द्वारा स्वरचित वाणी वंदना से हुआ। स्वागत डॉ नीति शास्त्री द्वारा किया गया। तत्पश्चात क्रमशः श्री राम बिहारी सोनी ’तुक्कड़’, गया प्रसाद वर्मा ‘मधुरेश’, साकेत सुमन चतुर्वेदी, आरजू अग्रवाल, नीलम गुप्ता, धर्मेश कुमार, सारांश मीरा अग्रवाल, के. के. साहू (निर्लिप्त) जे. पी. झा, एम. वी. सिंह, हरिश कौशिक रवि कुशवाहा, (ललितपुर) बाला प्रसाद यादव, (बालकवि) उस्मान अश्क, डॉ प्रताप नारायण दुबे, संजय तिवारी (राष्ट्रवादी) काशीराम सेन मधुप, कामता प्रसाद प्रजापति, अनिरुद्ध तिवारी, तेजभान सिंह बुंदेला, राम लखन सिंह परिहार, आदि ने राष्ट्रीय चेतना मातृशक्ति बंधन भगवान बुद्ध की महिमा पर आधारित काव्य रचनाएं प्रस्तुत की। इस अवसर पर संस्थान की ओर से डॉ मनोज कुमार गौतम ‘मनु’ डॉ राजेश मक्खन तिवारी, श्री विजय शंकर बबेले, (भारतीय सेना से. नि.) डॉ नेहाल चंद्र शिवहरे को शाल श्रीफल देकर साहित्य सेवा हेतु सम्मानित किया गया। गोष्ठी में स्नेहा गुप्ता (पालरबाले) रसकेंद्र गौतम, डॉ. एस. वी. सिंह जब्बल,सुभाष चंद्र, दीपक साहू, आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। गोष्ठी का संचालन डॉ सुखराम चतुर्वेदी द्वारा किया गया। आभार एवं स्वागत डॉ. नीति शास्त्री (संयोजिका) ने किया। अंत में भारत पाकिस्तान युद्ध में शहीद भारतीय सेनानियों के प्रति मौन श्रद्धांजलि प्रदान की गई।
प्रतिष्ठा में श्रीमान संपादक महोदय जी कृपया उपरोक्त संगोष्ठी का संचार जनहित एवं साहित्यकारों के सम्मान में अपने लोकप्रिय समाचार पत्र में प्रकाशित का हमे अनुग्रहित करें। आपके प्रति कृतज्ञ एवं आभारी रहूंगी।