*कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा – वंदना उपाध्याय*
*अच्छी संगति करे कुसंग एवं बुराई से दूर रहे- राजेन्द्र पाठक रामायणी*
*कथा श्रवण करने से जन्म मरण से मुक्ति मिलती है – संत रामबालक दास*
झाँसी-प्रेमनगर नगरा में स्थित कस्तूरबा कन्या इंटर कॉलेज में श्रीरामचरित मानस समिति के तत्वावधान में 65वाँ संगीतमयी श्री रामचरित मानस सम्मेलन के द्वितीय दिवस में समस्त भक्तों ने प्रवचन श्रवण किए। सर्वप्रथम पूजन अर्चन एवं आरती की उनके पश्चात प्रवचन श्रवण कराते हुए पूज्य राजेन्द्र पाठक रामायणी अयोध्या धाम ने कहा कि कुसंग का ज्वार सबसे भयानक होता है उससे हमे दूर रहना चाहिए कैकई के जीवन मे जब मंधरा रुपी कुसंग आया तो बहुत ही क्षति हुई इसलिए अच्छा संग करे बुराई से दूर रहे। और पूज्य साध्वी वंदना उपाध्याय मानस कोकिला बुंदेलखंड ने कहा कि कलियुग में केवल राम नाम ही आधार है नाम जप से जीव का कल्याण हो जाता है संसार रूपी भव सागर से पार होने के लिए भगवान का संकीर्तन करे यही जीवन का सार है। और पूज्य रामबालक दास जी महाराज ने कहा कि बड़े भाग्य से यह मानव शरीर मिला है इसे भगवान की भक्ति एवं सत्संग में लगाए कई जन्मों के बाद मानव शरीर मिलता है इसके माध्यम से आप भगवान की भक्ति करते है तो आपको जन्म-मरण से मुक्ति मिल जाती है। तथा इस अवसर पर मुख्य रूप से श्याम सुंदर अवस्थी,पं. सियाराम शरण चतुर्वेदी, ठा. अरुण सिंह, आत्माराम सिरोठिया, डॉ. जितेंद्र तिवारी, कैलाश नारायण मालवीय, पं. विनोद शर्मा (पुजारी), रमेश मिश्रा, हरिशंकर शर्मा, महेंद्र श्रीवास्तव, नागेश तिवारी, ओमप्रकाश दुबे, भगवती प्रसाद पांडेय, भवानी शंकर उपाध्याय पूँछ, इन्द्रपाल सिंह खनूजा, नरेश मिश्रा, दीपचंद्र, विश्वनाथ मिश्रा, चंद्रमोहन तिवारी, जगदीश कुशवाहा नन्ना, मोहक शर्मा सहित आदि लोग उपस्थित रहे और कार्यक्रम संचालन पं.सियारामशरण चतुर्वेदी संचालक श्री रामचरित मानस समिति ने किया व अंत मे आभार ज्ञापन पं.कुलदीप अवस्थी ने किया।