*65वाँ श्री रामचरित मानस सम्मेलन समारोह का संगीतमय भजनों के साथ हुआ भव्य शुभारंभ*
*भगवान प्रेम से प्रकट होते है – वंदना उपाध्याय*
*सत्संग की महिमा अपार है – राजेन्द्र पाठक*
*सत्संग कल्प वृक्ष से भी श्रेष्ठ है – रामबालक दास महाराज*
झाँसी – प्रेमनगर नगरा में स्थित कस्तूरबा कन्या इंटर कॉलेज में श्रीरामचरित मानस समिति के तत्वावधान में 65वाँ संगीतमयी श्री रामचरित मानस सम्मेलन के 5 दिवसीय कार्यक्रम की बेला में प्रथम दिवस में समस्त भक्तों ने प्रवचन श्रवण किए। सर्वप्रथम विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया गया उसके पश्चात संतो,धर्मगुरुओं एवं वैदिक ब्राह्मणो की उपस्थिति में मानस सम्मेलन का भव्य शुभारंभ हुआ और प्रवचन श्रवण कराते हुए पूज्य साध्वी वंदना उपाध्याय मानस कोकिला बुंदेलखंड ने कहा कि भगवान हर जगह व्याप्त है प्रकट करने के लिए हमें भगवान की आराधना करनी चाहिए। प्रेम से भगवान प्रकट होते है भगवान प्रेम के भूखे है प्रेम से जब भक्त भगवान को बुलाता है वह आकर भक्त का कल्याण करते है। और पूज्य श्री राजेन्द्र पाठक जी महाराज अयोध्या धाम ने कहा कि सत्संग की महिमा अपार है। अज्ञानी सत्संग के प्रभाव से विरागी बन जाता है, विपदा से ग्रस्त व्यक्ति सत्संग के प्रभाव से संपन्नताशाली हो जाता है। संत महात्माओं की संगति से हृदय के कपाट खुल जाते हैं, हृदय में प्रभु भक्ति रूपी सुधा धारा निरंतर बहती रहती है। और पूज्य श्री रामबालक दास जी महाराज हरि धाम ने कहा कि सत्संग कल्प वृक्ष से भी श्रेष्ठ है। कल्प वृक्ष के पास जाने से तत्काल ही सकल इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है। लेकिन इच्छाओं का समूल नाश नहीं होता। सत्संग से इच्छाओं का समूल नाश हो जाता है। सत्संग में आने वाला व्यक्ति सदा के लिए पूर्ण तृप्त हो जाता है।सर्वप्रथम पूजन अर्चन एवं आरती पं.श्याम सुंदर अवस्थी, पं.सियारामशरण चतुर्वेदी, आत्माराम सिरोठिया, डॉ. जितेंद्र तिवारी, कैलाश नारायण मालवीय, पं. विनोद शर्मा (पुजारी), रमाशंकर मिश्रा, रमेश मिश्रा, हरिशंकर शर्मा, महेंद्र श्रीवास्तव, नागेश तिवारी, मदन मोहन प्रजापति, भगवती प्रसाद पांडेय, घासीराम सोनी, नरेश मिश्रा, इन्द्रपाल सिंह खनूजा, दीपचंद्र, मृदुल शुक्ला, विश्वनाथ मिश्रा, चंद्रमोहन तिवारी, भवानी शंकर उपाध्याय, महेश साहू, मोहक शर्मा सहित आदि लोग की व कार्यक्रम संचालन पं.सियारामशरण चतुर्वेदी प्रधानाचार्य एम.एस.राजपूत इंटर कॉलेज ने किया अंत मे आभार ज्ञापन पं.कुलदीप अवस्थी ने किया।