सर्पदंश को लेकर जिलाधिकारी ने की जनहित में एडवाइजरी जारी
** सांप के काटने पर झाड़-फूक नहीं, तत्काल इलाज कराएं:-डीएम
** सर्पदंश से बचाव व उसके लक्षण की जानकारी प्राप्त कर स्वयं बचे साथ ही दूसरों को भी बचाने का करें कार्य
** सर्पदंश को लेकर जनहित में जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण ने क्यों करें,क्या ना करे की दी जानकारी
जिलाधिकारी श्री मृदुल चौधरी ने जनपद में भारी बारिश के दृष्टिगत तेज बहाव से आने वाले पानी में विभिन्न प्रकार के जहरीले जन्तु एंव साँप के आने और उनके काटने से होने वाली घटनाओं पर जनपदवासियों से कहा सर्पदंश कि से बचाव व उसके लक्षण के विषय में जानकारी प्राप्त कर स्वयं बचे एवं दूसरे को भी बचाने का कार्य करें। साथ ही साथ एक दूसरे को जागरूक कर जनहानि की घटना को कम करने का प्रयास करें।
डीएम श्री मृदुल चौधरी ने बताया कि आस्ट्रेलिया व अमेरिका में विषैले सर्पों की 85-65 प्रतिशत आंकी गई है। जबकि विषहीन सर्प की 15-35 प्रतिशत है। जिसके सापेक्ष मरने वाले की संख्या प्रत्येक वर्ष 10 व्यक्तियों की है। लेकिन भारत में विषैले सर्प मात्र 15 प्रतिशत ही हैं। जिसके सापेक्ष भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 45 से 46-हजार मृत्यु सर्पदंश से होती है। जिसका प्रमुख कारण लोगो में अज्ञानता व समय से इलाज न कराने के बजाय झाड़-फूक आदि पर ज्यादा विश्वास करने से होती है। उन्होंने बताया कि भारत में विषैले प्रमुख सर्प नाग (कोबरा), कामन कैरत, स्कैल्ड वाईपर, रैसेल वाईपर पाए जाते हैं, जिसकी बनावट व विशेषताएं अलग-अलग होती हैं।
जनता दर्शन के दौरान जिलाधिकारी ने जहरीला सर्प स्पैक्टेक्लैड कोबरा द्वारा काटे जाने पर उनके लक्षण की जानकारी देते हुए बताया कि काटे गये जगह पर दर्द, नींद आना, सांस लेने में परेशानी, बंद होतीं पलकें। नेक्रोसिस (शरीर के कोषिकाओं की मृत्यु), पक्षाघात, मुंह पर झाग का आना, निगलने में परेशानी होती है। इस प्रकार कामन करैतः रुधितंत्र पर असर करने वाला जहर। नींद आना, सांस लेने में परेशानी। बंद होती पलकें। निगलने में परेशानी। पक्षाघात, जी मिचलाना, पेट में दर्द होता है। स्केल्ड वाइपर : उत्तक को नष्ट करने वाला जहर। काटे गए स्थान पर जलन एवं दर्द।पीठ के निचले भाग एवं लोइन (पसली एवं कमर के हड्डी के बीच वाली जगह पर दर्द)। मानसिक क्षति के कारण आंतरिक कोषिकाओं एवं वाह्य कोषिकाओं में रक्तस्राव। अत्यधिक सूजन। काटे गये स्थान पर तेजी से जलन। अत्यधिक नेक्रोसिस (शरीर के कोषिकाओं की मृत्यु)। उन्होंने कहा कि दो कारणों से सर्प डंसते है, आहार (भोजन) के लिए, भय और आत्मरक्षा के लिए ।
जिलाधिकारी ने सर्पदंश पर क्या करें की जानकारी देते हुए बताया कि डंसने की जगह को साबुन व पानी से घोएं। दांत के निशान की जांच करें कि कहीं जहरीले सर्प के डसने का दो दंत का निशान तो नहीं। उस अंग को हृदय के लेवल से नीचे रखें। सर्पदंश वाले अंग को स्थिर (फिक्स) करें। बैंडेज घाव पर और उसके उपर लगाएं। घायल व्यक्तिको सांत्वना दें, घबराहट से हृदय गति तेज चलने से रक्त संचरण तेज हो जाएगा और जहर सारे शरीर में जल्द फैल जाएगा। तुरंत बड़े अस्पाताल ले जाएं। यदि जहरीले सर्प ने काटा है-तो एंटी वेनम का इंजेक्शन डाक्टर से लगवाएं।
इसके साथ ही उन्होंने सर्पदंश पर क्या न करें के विषय में बताया कि बर्फ अथवा अन्य गर्म पदार्थ का इस्तेमाल सर्प के इसे गए स्थान पर न करें। सर्प से प्रभावित व्यक्ति के कटे स्थान पर दुर्निकेट (तेज कपडे से न बांधे)। इससे संबंधित अंग में रक्त प्रवाह पूरी तरह रुक सकता है एवं संबंधित अंग की क्षति हो सकती है। उस स्थल पर चीरा न लगाएं। यह आगे नुकसान पहुंचाता है। घायल को चलने से रोकें। शराब व नींद आने की कोई दवा न दें। मुंह से कटे हुए स्थान को न चूसें। मंत्र या तांत्रिक के झांसे में न आएं। भय एवं चिंता न करें। सभी सर्प जहरीले नहीं होते है। सभी जहरीले सर्पों के पास हर समय पूरा जहर नहीं होता। यदि पूरा जहर हो तो भी वो इसका प्पजींस लिथल डोज हमेशा नहीं प्रवेश करा पाते हैं। सर्पदंश के उपरांत उसके निशान की जांच करें। जाँच करें कि जहरीले या विषहीन सर्प ने डसा है। सर्प के विष के अनुसार एंटी वैनम (इंजेक्शन) लगवाया जाए। विषहीन सर्प के डसने से भी घाव के आसपास सूजन और खुजलाहट होती है।
जिलाधिकारी श्री मृदुल चौधरी ने पुन: जनपदवासियों की सतर्क करते हुए सर्पदंश पर बताई गई जानकारी का अनुसरण करनी का। सुझाव दिया ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके।
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जिला सूचना कार्यालय द्वारा प्रसारित