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पर्वाधिराज पर्युषण दसलक्षण पर्व के दसवें दिन जिनालयों में “उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म” की आराधना की गई

ByBKT News24

Sep 17, 2024


“उत्तम ब्रह्मचर्य मन लावे, नर-सुर सहित मुकती-फल पावे”

पर्वाधिराज पर्युषण दसलक्षण पर्व के दसवें दिन जिनालयों में “उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म” की आराधना की गई

 

जैन धर्मावलंबियों ने बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य भगवान के मोक्ष कल्याणक महोत्सव पर निर्वाण लाडू चढ़ाया

 

पर्युषण दसलक्षण पर्व के अंतिम दिन उमड़ा भक्ति का सैलाब….गूंजे जयकारे

 

अनंत चतुर्दशी के साथ पर्युषण दशलक्षण पर्व का समापन

 

झांसी। पर्वाधिराज पर्युषण दसलक्षण पर्व के अंतिम दसवें दिन “उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म” की आराधना की गई। नगर के समस्त जैन मन्दिरों में प्रातःकाल से सायंकाल तक जयकारे गूंजते रहे। धोती दुपट्टा पहने श्रावक भगवान का अभिषेक शांतिधारा करते नजर आए। पूजन पाठ के अर्घ्य सुनाई दिए। भगवान की स्तुति, आरती करते हुए श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। ऐसा लगा कि जैसे भक्ति का सैलाब आया हो। इस अवसर पर मेडिकल क्षेत्र की पहाड़ी स्थित श्री दिगम्बर जैन चंद्रोदय तीर्थ के समवसरण मंदिर में चतुर्दिक विराजमान अष्टम तीर्थंकर श्री चंद्रप्रभु भगवान का महामस्काभिषेक करने का सौभाग्य सौरभ जैन सर्वज्ञ, अंकित सर्राफ, सजल जैन चैनू, अंशुल जैन बघेरा, डॉ सचिन जैन, सार्थक जैन, आयुष जैन, शाश्वत जैन ने किया। विश्वशांति की मंगलकामना के साथ श्रीजी के मस्तक पर शांतिधारा करने का सौभाग्य रविन्द्र सिंघई, विशाल सिंघई (मातुश्री) को प्राप्त हुआ। श्रीमति सिद्धि जैन, दीपाली सिंघई, निकिता जैन चैनू, कु. नुमानसी जैन, मानवी जैन को मंगल आरती करने का सौभाग्य मिला। तत्पश्चात श्रीमति सारिका – संजय सिंघई सहित सभी श्रद्धालुओं ने नवदेवता पूजन कर बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य भगवान के मोक्ष कल्याणक महोत्सव के अवसर पर निर्वाण लाडू चढ़ाते हुए महार्घ समर्पित किया। इस अवसर पर सौरभ जैन सर्वज्ञ ने कहा कि उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म, जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। यह हमें संयमित रहने और आत्मा के मार्ग पर चलने का संदेश देता है। उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का मतलब है कि हम अपने मानसिक, भौतिक, और आध्यात्मिक जीवन में संयमित रहें और अपने इंद्रियों को नियंत्रित करें। उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का मतलब है कि हम ब्रह्म में लीन हों। ब्रह्म का मतलब है आत्मा, ब्रह्मांड, या परमात्मा। उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का मतलब है कि हम अपनी इच्छा शक्ति को नियंत्रित करें।उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का मतलब है कि हम संपूर्ण विषयों में अनुराग को दूर करें।

बुधवार 18 सितम्बर को कटरा जैन मंदिर से निकलेगी श्रीजी की विशाल रथयात्रा,होगा वार्षिक कलशाभिषेक समारोह

सकल दिगम्बर जैन समाज झांसी के प्रवक्ता सौरभ जैन सर्वज्ञ ने बताया कि बुधवार 18 सितम्बर को दोपहर 1 बजे से शहर क्षेत्र के कटरा जैन मंदिर से श्रीजी की विशाल रथयात्रा निकाली जाएगी जो नगर भ्रमण करते हुए वापिस कटरा बाजार पहुंचेगी जहां वार्षिक कलशाभिषेक समारोह संपन्न होगा।


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